Monday 2 January 2012

**बदल रहे दोस्ती के मायने पर मै एक सच्चा दोस्त बनाना पसंद करूँगा !**

भगवान श्रीकृष्ण-सुदामा की दोस्ती के किस्से बचपन से ही सुनने को मिल जाते हैं। दोस्ती निस्वार्थ है। इस बात का परिचय भगवान श्रीकृष्ण जी ने सुदामा को बिन मांगे सभी मुरादें पूरी करके दिया। इस युग में दोस्ती के मायने पूरी तरह बदल गए हैं। अब लोग इतना नीचे गिर जाते हैं कि वह दोस्ती को भी दांव पर रखने में नहीं हिचकिचाते। कुछ लोग अपना काम निकालने के लिए ही दोस्त बनाते हैं। दोस्ती एक ऐसा पवित्र रिश्ता है, जिसमें हम अपना सब कुछ दोस्त के लिए दांव पर लगाने को तैयार होते हैं। दोस्त एक ऐसा व्यक्ति होता है, जिससे हम अपने दिल की वह हर बात कह सकते हैं, जो एक जीवन साथी के साथ भी नहीं कर सकते। दोस्ती का सबसे बड़ा दुश्मन 'शक' को माना गया है। रहीम ने भी अपने दोहों में दोस्ती को धागे से जोड़ा है। उनके अनुसार 'रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए टूटे से फिर न जुड़े, जुड़े पर गांठ पड़ जाय' पर समय के साथ दोस्ती में बदलाव आता जा रहा है। दोस्ती भौतिकवाद चीजों पर केंद्रित हो रही है। दोस्ती अब एक ही दिन पर केंद्रित हो गई है। वेस्टर्न कल्चर से हमें फ्रेंडशिप डे मिला है।आज के युग में दोस्ती इतनी मतलबी हो चुकी है कि हम किसी दोस्त पर पूरी तरह विश्वास नहीं कर सकते। हर कोई अपना मतलब निकालना जानता है। । वेस्टर्न कल्चर से मिले फ्रेंडशिप डे से हमें कोई नुकसान भी नहीं है। हम सारी जिंदगी एक दोस्त के पास नहीं रह सकते। माधव ने कहा कि दोस्ती को अगर हम शक से दूर रखेंगे तो हमें सच्चा दोस्त मिलेगा। हर किसी को दोस्त की जरूरत है। कोई अधिक समय तक अकेला नहीं कर सकता।हमारे नजरो में दोस्ती कि यही परिभाषा है और मै अपने दिल में अपने दोस्तों के लिए इसी सोच को मैंने अपने दिल में पिरोया है ,,

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